जयशंकर प्रसाद की जीवनी - Jaishankar Prasad Biography In Hindi
जयशंकर प्रसाद का जीवन-परिचय: जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में माघ शुक्ल दशमी संवत् 1905 वि0 (सन 1889) में हुआ था. इनके पिता का नाम देवीप्रसाद था. ये तम्बाकू के एक प्रसिद्ध व्यापारी थे. बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने से इनक प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई. घर पर ही इन्होने हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, फारसी का गहन अध्ययन किया. ये बड़े मिलनसर, हंसमुख और सरल स्वभाव के थे. इनका बचपन सुखमय बीता, लेकिन उदार प्रकति तथा दानशीलता के कारन ये ऋणी होते चले गए फिर इन्होने अपनी पैत्रक संपत्ति का कुछ भाग बेचकर ऋण से छूटकरा पाया. अपने जीवन में इन्होने कभी अपने व्यवसाय की ओर ध्यान नहीं दिया. परिणाम स्वरुप इनकी आर्थिक हालत बिगडती चली गई और tension ने इन्हें घेर लिया.Jaishankar Prasad Biography In Hindi |
साहित्यिक सेवाएँ: महान लेखक जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रवर्तक,उन्नायक तथा प्रतिनिधि कवि होने के साथ-साथ युग प्रवर्तक नाटककार, कथाकार तथा उपन्यासकार भी थे. विशुद्ध मानवतावादी द्रष्टिकोण वाले प्रसाद जी ने अपने काव्य में आध्यात्मिक आनन्दवाद प्रतिष्ठा की है. प्रेम और सौन्दर्य इनके काव्य प्रमुख विषय रहे है, किन्तु मानवीय संवेदना उनकी कविता का प्राण है.
जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ: प्रसाद जी अनेक विषयों और भाषाओँ के प्रकाण्ड पंडित और प्रतिभासंपन कवि थे. इन्होने नाटक, उपन्यास, कहानी, निबंध आदि सभी साहित्यिक दिधाओं पर अपनी लेखनी चलाई और अपने कृतित्व से इने अलंकृत किया. इनका काव्य हिन्दी-साहित्य की अमूल्य निधि है.
जयशंकर प्रसाद के प्रमुख काव्यग्रंथो का विवरण
- कामायनी- यह प्रसाद जी की कालजयी रचना है. इसमें मानव को श्रद्धा और मनु के माध्यम से ह्रदय और बुद्धि के समन्वय का सन्देश दिया गया है. इस रचना पर इनको मंगलाप्रसाद पारितोषिक भी मिल चुका है.
- आंसू- यह प्रसाद जी का वियोग का काव्य है. इसमें वियोगजनित पीड़ा और दुःख मुखर हो उठा है.
- लहर- यह प्रसाद जी का भावात्मक काव्य-संग्रह है.
- झरना- इसमें प्रसाद जी की छायावादी कविताएँ संकलित हैं, जिसमे सौन्दर्य और प्रेम की अनुभूति साकार हो उठी है.
कहानीयाँ
- आकाशदीप
- इन्द्रजाल
- प्रतिध्वनि
- आँधी
उपन्यास
- कंकाल
- तितली
- इरावती(अपूर्ण)
निबंध
- काव्य और कला तथा अन्य निबंध.
चम्पू
- प्रेम राज्य
अन्य काव्य-ग्रन्थ
- चित्राधार
- कानन-कुसुम
- करुणालय
- महाराणा का महत्व
- प्रेम-पथिक
जयशंकर प्रसाद जी का साहित्य में स्थान
प्रसाद जी असाधारण प्रतिभाशाली कवि थे. उनके काव्य में एक ऐसा नैसर्गिक आकर्षण एवं चमत्कार है की सह्रदय पाठक उसमें रसमग्न होकर अपनी सुध-बुध खो बैठता है. निस्स्संदेह वे आधुनिक हिन्दी-काव्य-गगन के अप्रतिम तेजोमय मार्तण्ड हैं.
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